नहीं थम रही उत्तराखंड के जंगलों की आग... क्यों फेल हो जा रहे काबू करने के प्रयास?

Uttarakhand Forest Fire Reason: उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग बुझने का नाम नहीं ले रही है. जंगलों में तेजी से फैल रही आग पर काबू पाने कि हर मुमकिन कोशिश की जा रही है. लेकिन आग पर काबू पाना मुश्किल नजर आ रहा है. उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में इन द

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Uttarakhand Forest Fire Reason: उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग बुझने का नाम नहीं ले रही है. जंगलों में तेजी से फैल रही आग पर काबू पाने कि हर मुमकिन कोशिश की जा रही है. लेकिन आग पर काबू पाना मुश्किल नजर आ रहा है. उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में इन दिनों जंगल धू-धू कर जल रहे हैं जिससे लाखों की संख्या में पेड़-पौधों के साथ वन्यजीवों को भी खासा नुकसान पहुंच रहा है. आग लगने के पीछे प्राकृतिक और मानवीय कारण दोनों माने जा रहे हैं. आइए इनके बारे में जानते हैं.

आग पर कैसे पाया जाए काबू?

जबकि, आग से निकल रहे धुएं की वजह से लोकल लोगों को सांस लेने में परेशानी हो रही है. आग के चलते इलाके का तापमान भी तेजी से बढ़ रहा है. लिहाजा, आग पर काबू पाने के लिए उत्तराखंड की सरकार हर संभव प्रयास कर रही है. सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि सभी विभागों के आपसी सहयोग से आग पर काबू पाने की कोशिश की जा रही है.

पहाड़ में विजिबिलिटी जीरो

हल्द्वानी के पहाड़ों में विजिबिलिटी जीरो हो गई है. जंगलों में लगी भीषण आग की वजह से धुंध छाई हुई है. हेलीकॉप्टर सेवा पर धुंध ने ब्रेक लगा दिया है. आज भी पहाड़ों के लिए फ्लाइट नहीं जा सकेगी. हल्द्वानी से चंपावत, मुनस्यारी और पिथौरागढ़ को जाने वाली फ्लाइट पर अभी भी विजिबिलिटी के कारण ब्रेक है. कुमाऊं के जंगलों अभी भी भीषण आग लगी हुई है.

जंगल में आग के प्राकृतिक कारण

फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया (FSI) की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तराखंड के 24,305 स्क्वायर किलोमीटर एरिया में जंगल है, जो राज्य का लगभग 44.5% है. इन जंगलों में बहुत ज्यादा संख्या में चीड़ के पेड़ हैं. जो आग को जल्दी पकड़ते हैं. यह करीब 3.94 लाख हेक्टेयर में फैले हुए हैं. इनमें प्राकृतिक तौर पर ही आग लगने की संभावना बनी रहती है. हिमालय के लंबे वक्त तक शुष्क मौसम और जरूरत से ज्यादा बायोमास की वजह से भी आग लग जाती है.

आग के लिए इंसान भी जिम्मेदार

माना जाता है कि जंगल में ज्यादातर बार आग मानवीय कारणों की वजह से ही लगती है. पहाड़ों के गांव में परंपरागत रूप से नई घास उगाने और खेती के लिए जमीन साफ करने के लिए आग लगा देते हैं. इसके अलावा, जंगल के पास जली हुई बीड़ी या सिगरेट फेंक देने से भी आग लग सकती है. पिछले कुछ हफ्तों में, उत्तराखंड में कई लोगों को जानबूझकर आग लगाने के आरोप में अरेस्ट किया गया है.

रील बनाने के चक्कर में लगाई आग?

एक खबर ये भी है कि उत्तराखंड के चमोली में तीन युवकों ने जंगल में आग लगा दी है और उसका एक वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर शेयर कर दिया. जिसके बाद वो वीडियो तेजी से वायरल हो गया. वायरल वीडियो में तीनों युवक जंगल में लगी आग के सामने वीडियो बनाते नजर आए. उनमें से एक युवक ने दावा किया कि वो आग उन्होंने लगाई है.

आग लगाने वालों का मकसद?

वायरल वीडियो में लड़के कहते नजर आ रहे हैं कि हमारा काम यही है आग लगाना और आग से खेलना तो हम लोग आग से खेलते हैं और इसी काम से आए हैं. केवल पहाड़ को जलाकर हम को एक दम भस्म करना है. आग लगाना है जितना भी उसमें पत्ता नीचे गिरा है. हालांकि, जब ये वीडियो वायरल हुआ तो मामला पुलिस तक पहुंचा. पुलिस ने जांच के बाद तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया.

पुलिस की पूछताछ में खुलासा

चमोली के एसपी सर्वेश पंवार ने कहा कि तीनों के खिलाफ थाना गैरसैण में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है. तीनों आरोपी बृजेश सिंह, सुखलाल और सलमान बिहार के रहने वाले हैं और तीनों के खिलाफ हम लोग कानूनी कार्रवाई कर रहे हैं. पूछताछ में युवकों ने बताया कि सोशल मीडिया पर पॉपुलैरिटी पाने के लिए उन्होंने ये वीडियो अपलोड किया था.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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